Migration Problem In Uttarakhand

उत्तराखंड मे पलायन की आज बहुत ही बड़ी समस्या सामने आ रही है। उत्तराखंड मे इन 10  सालो मे लगभग 5 लाख व्यक्तियों का पलायन हो चूका है। इनमे से 46 % युवा लोग शामिल है जिसमे तो कुछ अपनी पढ़ाई की वजह से और कुछ रोजगार के कारण अपने अपने गावो को छोड़ के जा रहे है।

 पलायन के मुख्य कारण 

आइये जानते है उत्तराखंड से हो रहे पलायन के के बारे मे:

  पलायन का मुख्य कारण शिक्षा व्यवस्ता और मरीजों को उपचार की उचित व्यवस्ता न होना माना जाता है। आज लोग दूर दराज गांवो मे रहता है जहाँ उसे बहुत सारी असुविधाओं का सामना करना पड़ता है। न तो उनको समय से उपचार मिलता है और न ही स्कूली शिक्षा, जिसके कारण लोग आज गांव से दूर रहना पसंद कर रहा है।और दिन प्रतिदिन लोग गाँवो से शहर की और पलायन कर रहे है। इसलिए लोगो को अपनी बेहतर सुविधाओं के लिए गाँव से पलायन करना पड़ रहा है। उत्तराखंड आयोग द्वारा किये गए सर्वे से पता चलता है की लगभग 8.83%लोग स्वास्थ्य सुविधा ,15.21 %ने शिक्षा की वजह से पलायन कर रहे है।    

दूसरा मुख्य कारण यह है कि लोगो के पास गाँवो मे रोजगार की सुविधा ना के बराबर है जिसका सीधा असर युवाओ पर पड़ता दिखाई देता है।और यहाँ के युवा अपने आजीविका के लिए एक शहर से दूसरे शहर मे   पलायन करने के लिए मजबूर होता जा रहा है। दूसरी और देखा जाए तो कुछ लोग गाँवो मे ही मजदूरी करके अपना घर और बच्चो का पालन पोषण कर रहा है।आज देखा जाए तो उत्तराखंड मे रोजगार की बहुत बड़ी समस्या है जिसका सीधा असर गाँवो से हो रहे सीधे पलायन पर पड़ रहा है।आयोग द्वारा किये गए सर्वे मे उत्तराखंड के 50% लोगो का पलायन आजीविका /रोजगार के कारण हुआ है।

उत्तराखंड सरकार ने पलायन को रोकने के लिए बनाई योजनायें

 जब से उत्तराखंड राज्य की स्थापना हुई है तब से लेकर आज तक पलायन को रोकने के लिए अनेको योजनाएं  बनी गयी.लेकिन उन योजनाओ का कोई भी असर देखने को नहीं मिला। कुछ समय पहले कोरोनकाल चल रहा था उस समय बहुत से प्रवासी अपने अपने घरो को वापस लौट रहे थे।माना जा रहा था अब इनमे से अधिकतर लोग वापस पलायन नहीं करेंगे किन्तु ऐसा नहीं हुआ।लोगो को रोजगार के लिए फिर से पलायन करना पड़ा।

पलायन को रोकने के लिए किया गया पलायन आयोग का गठन :

पलायन को मध्यनजर रखते हुए भाजपा सरकार ने साल 2017 मे ग्राम्य विकास विभाग के अंतर्गत पलायन आयोग का गठन किया। आयोग द्वारा सभी गाँवो का सर्वे किया गया और अपनी रिपोर्ट सरकार को सौपी। इस रिपोर्ट से मिले आकड़ो को अर्थ एवं संख्या निदेशालय के आर्थिक सर्वेक्षण 2021 -2022 मे शामिल किया गया है। जिसमे मुख्य रूप से पलायन के लिए शिक्षा,स्वास्थ्य,और रोजगार प्रमुख कारण देखने को मिले। इन कारणों को देखते हुए सरकार ने कई योजनाए बनाई किन्तु आज भी स्थितिया नहीं बदली। राज्य मे पलायन का दौर आज भी जारी है। आज देखा जाए तो गाँवो मे मुख्य व्यवसाय कृषि और मजदूरी ही है।

ग्राम पंचायतो के प्रमुख व्यवसाय मे 31.22% मजदूरी,45.59 %कृषि,10.81 %सरकारी सेवा है। उत्तराखंड मे इन 10  सालो मे रोजगार के कारण लगभग 6338 ग्राम पंचायतो से 2 लाख 83 हजार 726 लोगो ने पलायन किया है।सर्वे के अनुसार यह एक अस्थाई पलायन है।वहीं 3946 ग्राम पंचायतो को स्थाई पलायन मे रखा गया है। जिसमे 1 लाख 18 हजार 981लोगो ने पलायन किया है। और जो वापस अपने गाँव मे नहीं आये हम कह सकते है की वह लोग जो जहाँ गए वहीं बस गए। 

उत्तराखंड ग्राम्य विकास एवं पलायन आयोग का नाम बदलकर अब पलायन निवारण आयोग रख दिया गया है। 

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